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‘OUR ASSOCIATION’
भिलाई इस्पात संयंत्र एससी एसटी एम्पलाइज एसोसिएशन भिलाई।
इस्पात नगरी भिलाई में स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र एससी एसटी एम्पलाइज एसोसिएशन भिलाई का गठन भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत हमारे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कर्मचारी एवं अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण उपलब्ध है। भिलाई इस्पात संयंत्र में एकल एसोसिएशन के रूप में मान्यता प्राप्त हमारा एसोसिएशन ने अपने शैशवावस्था में ही अपने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कर्मचारी एवं अधिकारियों के कल्याण तथा विकास के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हासिल किए हैं।
भिलाई इस्पात संयंत्र के इतिहास में पहली बार प्रबंधन से संबंध एवं पंजीकृत विभिन्न 12 सामाजिक संस्थाओं को सामूहिक रूप से एकल एसोसिएशन के गठन हेतु दिनांक 21 08.2005 को सहमति बनी। दिनांक 28.08.2005 को सभी पंजीकृत सामाजिक संस्थाएं आपस में समन्वय स्थापित कर एक एसोसिएशन “भिलाई इस्पात संयंत्र एससी/ एसटी एम्पलाइज एसोसिएशन” भिलाई का गठन किया।दिनांक 13.09.2005 को हमारे एसोसिएशन का विधिवत छत्तीसगढ़ पंजीयक से पंजीयन कराया गया। तथा दिनांक 8.12.2005 को भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने हमारे एसोसिएशन को एकल एसोसिएशन के रूप में मान्यता प्रदान किये। दिनांक 23.01.2006 को एसोसिएशन और बी एस पी प्रबंधन के बीच प्रथम बैठक संपन्न हुई, जिसमें एसोसिएशन ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कर्मचारीयों एवं अधिकारियों के हितार्थ ज्ञापन सौंपे।
एसोसिएशन की मांग के अनुसार दिनांक 14.4.2006 को भारत रत्न डॉ अंबेडकर जी की जयंती में भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रबंध निर्देशक पहली बार मुख्य अतिथि बने तथा एसोसिएशन के प्रयासों से यह परंपरा अनवरत जारी है।
एसोसिएशन के गठन के पश्चात ही सन 2006 में सेल के इतिहास में पहली बार 16 उपमहा प्रबंधक( DGM) एवं 28 सहायक महाप्रबंधक (AGM) बने, जिसमें एसोसिएशन की अहम भूमिका रही। ज्ञात हो कि इसके पूर्व भिलाई इस्पात संयंत्र में केवल एक ही उप महाप्रबंधक (DGM) थे। एसोसिएशन दिनांक 14. 4.2006 से डॉ अंबेडकर जयंती एवं दिनांक 1.5.2006 से मई दिवस पर सांस्कृतिक समारोह का आयोजन करते आ रहा है।
हमारे एसोसिएशन को वर्ष 2007 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार द्वारा मान्यता दिया गया। तथा वर्ष 2008 में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व गवर्नर बूटासिंह द्वारा एसोसिएशन का मुख्य संरक्षक स्वीकार किया गया था। एसोसिएशन को वर्ष 2008 में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुआ, जिसमें अनुसूचित जाति जनजाति के अधिकारियों को सहायक महाप्रबंधक (AGM) के पदों पर 38 प्रतिशत की पदोन्नति प्राप्त हुई।
को वर्ष 2010 के जूनियर ऑफिसर (E-0) के पदोन्नति में 25 प्रतिशत की पदोन्नति हासिल हुई थी। एसोसिएशन ने अपने उपलब्धियो को अपने श्रम वीरों तक पहुंचाने के उद्देश्य से सन 2011 में “स्मारिका” का सफल प्रकाशन किया। तत्पश्चात प्रतिवर्ष डॉ अंबेडकर जयंती के शुभ अवसर पर एसोसिएशन की वार्षिक पत्रिका “संघर्ष-श्रम वीरों का” सफल प्रकाशन किया जाता रहा। दिनांक 5.12.2017 को डॉ आंबेडकर प्रेरणा स्थल, सेक्टर-6, भिलाई का श्री राम जी भारती जी, तत्कालीन माननीय अध्यक्ष, राज्य अनुसूचित जाति आयोग, छत्तीसगढ़ के मुख्य आतिथ्य में लोकार्पण किया गया। तत्पश्चात प्रेरणा स्थल में ही दिनांक 14.4.2018 को डॉ अंबेडकर जी दिनांक 30.11.2018 को संत रविदास जी दिनांक 17.12.2018 को गुरु घासीदास जी एवं दिनांक 19. 12.2018 को शहीद वीर नारायण सिंह जी की मूर्ति का अनावरण किया गया। छत्तीसगढ़ के महापुरुषों को सम्मान देने की कड़ी में मूर्ति स्थापना के साथ-साथ सेक्टर 6 में पवित्र “जैतखाम” निर्माण हेतु भूमि पूजन किया गया एवं इस्पात नगरी में जयंती स्टेडियम का नामकरण छत्तीसगढ़ के प्रथम शाहिद के नाम पर “शहीद वीर नारायण जयंती स्टेडियम” किया गया। दिनांक 14.4.2024 को डॉ अंबेडकर जयंती के भव्य समारोह में एसोसिएशन की नई वार्षिक पत्रिका “नया सवेरा” का विमोचन किया गया।
‘OBJECTIVES OF ASSOCIATION’
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हितों से जुड़े मामलों पर विचार करना और उन पर उचित कार्रवाई करना
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों और कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण और उनकी शैक्षणिक और प्रशासनिक समस्याओं को हल करने में उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करना।
कोमल प्रसाद
अध्यक्ष – बी एस पी, एस सी / एस टी एम्प्लॉईस एसोसिएशन भिलाई
उपाध्यक्ष – सेल एस सी / एस टी एम्प्लॉईस फेडरेसन नई दिल्ली
अध्यक्ष की कलम से
बाबा साहब डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर ने सन 1936 में श्रमिक वर्ग के अधिकार और उत्थान हेतु इंडिपेन्डेंट लेबर पार्टी की स्थापना की थी। इससे यह अंदाजा लगाने में सहयोग मिलेगा कि मजदूर, गरीब, शोषित, पीडित हर हाशिये के व्यक्ति के प्रति बाबा साहब कितने गंभीर थे। आज मजदूर दिवस या मई दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है और यह उन श्रमिक वर्गों का उत्सव है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय श्रम आंदोलनों द्वारा बढावा दिया जाता है । भारत में श्रमिकों के प्रति डॉ. आम्बेडकर का योगदान बहुत बडा रहा है, लेकिन लगभग हर कोई एक श्रमिक नेता के रूप में डॉ. आम्बेडकर की भूमिका को शायद ही जानता होगा। जबकि देश में कई बड़े नामी गिरामी किसान नेता या मजदूर पृष्टभूमि से आये नेता भी रहे हैं।
एक मई 1886 से मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की प्रमुख मांग का आधार श्रमिकों के लिए प्रति श्रम दिन 8 घंटे का श्रम मानने का 1866 के वाल्टीमेर (अमेरिका) के मजदूरों के कंवेंशन में पारित प्रस्ताव था । भारत में 1923 में पहली बार मद्रास में मई दिवस मनाया गया तथा दूसरे विश्व युद्ध की घोषणा के बाद 2 अक्टूबर 1939 को बम्बई में हुई युद्ध विरोधी हड़ताल में दस हजार से ज्यादा मजदूरों ने हिस्सा लिया था। हालांकि श्रम विभाग की स्थापना नवम्बर 1937 में हुई थी
नया सवरा
और डॉ. आम्बेडकर ने जुलाई 1942 में श्रम विभाग का कार्यभार संभाला था। सिंचाई और बिजली के विकास के लिए नीति निर्माण और योजना प्रमुख चिंता थी ।
मैं यहां केवल डॉ. आम्बेडकर की भूमिका पर बात करूंगा। 1942 में उनके मार्गदर्शन में श्रम विभाग था, जिसमें बिजली प्रणाली विकास, हाइड्रल पावर स्टेशन साइटों, हाइड्रो इलेक्ट्रिक सर्वेक्षणों, बिजली उत्पादन और थर्मल पावर स्टेशन की समस्याओं का विश्लेषण करने के लिए केंद्रीय तकनीकी पावर बोर्ड स्थापित करने का निर्णय लिया था। 1886 वाल्टिमेर के कन्वेंशन की भांति बाबा साहब ने कारखानों में मजदूरों के 12 से 14 घंटे काम करने के नियम को बदल कर 8 घंटे किया था। साथ ही बाबा साहब ने ही महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व लाभ जैसे कानून बनाने की पहल की थी।
बाबा साहब ने 1946 में श्रम सदस्य की हैसियत से केन्द्रीय असेम्बली में न्यूनतम मजदूरी निर्धारण संबंधी एक बिल पेश किया, जो 1948 में जाकर देश का न्यूनतम मजदूरी कानून बना । बाबा साहब ने ट्रेड डिस्प्युट एक्ट में संशोधन करके सभी यूनियनों को मान्यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। 1946 में उन्होनें लेबर ब्यूरो की स्थापना की। बाबा साहब ने मजदूरों के हडताल करने के अधिकार को स्वतंत्रता का अधिकार माना और कहा कि मजदूरों को हडताल का अधिकार न देने का अर्थ है मजदूरों से उनकी इच्छा के विरूद्ध काम लेना और उन्हें गुलाम बना देना।
विजय कुमार रात्रे
महासचिव
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए भारतीय संविधान में दिया गया आरक्षण न तो नौकरी हासिल करने का मामला है और न ही गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम है। यह हजारों सालों से शोषित, पीड़ित जातियों को विकास की मुख्य धारा से जुडने के लिए दिया गया प्रतिनिधित्व का मामला है। सन 1882 में हण्टर कमीशन भारत आया था, उस समय राष्ट्रपिता ज्योतिराव फूले ने सर्वप्रथम तथाकथित शूद्रों और अतिशूद्रों के लिए प्रतिनिधित्व की मांग रखी थी। जिससे प्रेरणा लेकर छत्रपति शाहूजी महाराज ने 26 जुलाई 1902 को अपने राज्य कोल्हापुर में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किये। सन 1918 में साउथ बरो कमीशन भारत आया तो शाहू जी महाराज के कहने पर डॉ. आम्बेडकर एवं सत्य शोधक समाज के अध्यक्ष भास्करराव जाधव ने पिछडे लोगों की प्रतिनिधित्व के लिए कमीशन को ज्ञापत सौंपा, जिसका बाल गंगाधर तिलक ने 1919 में अपने भाषण में विरोध किया था
डॉ. आम्बेडकर ने अंग्रेजों से लड़कर 17 अगस्त 1932 को कम्यूनल अवार्ड के तहत चार अधिकार प्राप्त किये थे। उसमें से वास्तविक प्रतिनिधित्व का एक महत्वपूर्ण अधिकार “अलग निर्वाचन क्षेत्र” को पूना पैक्ट के तहत महात्मा गांधी ने 24 सितम्बर 1932 को खत्म कर दिया। स्वतंत्र भारत के विधान सभाओं मे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लगभग 1100 विधायक एवं लोकसभा में 131 सांसद होने के बाद भी हमारे लोगों के माथे पर पेशाब किया जाता है, घड़े को छू लेने पर हत्या कर दी जाती है। यह उनके वीभत्स जातिवादी मानसिकता का परिचायक है, और हमारे लोगों का स्वहित के लिये गूंगापन ।
सन 1942 में जब अंग्रेजो के द्वारा डॉ. आम्बेडकर जी को श्रम मंत्री बनाया जाता है, उस समय 1943 में उन्होने अनुसूचित जातियों के लिए 8.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किये थे। परंतु 21 सितम्बर 1947 को अनुसूचित जातियों के लिए 12.5 प्रतिशत तथा 13 सितम्बर 1950 को अनुसूचित जनजातियों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये । यही आरक्षण 25 मार्च 1970 से अनुसूचित जातियों के लिए15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत लगातार चला आ रहा है। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. आम्बेडकर ने संविधान में ओ बी सी की सूची निर्धारण करने हेतु आर्टिकल 340 के अनुसार अक्टूबर 1951 में ओ बी सी की सूची तैयार नहीं होने पर डॉ. आम्बेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिये। डॉ. आम्बेडकर के कानून मंत्री के पद से इस्तीफे के बाद 29 जनवरी 1953 में काका कालेलकर आयोग बनाया गया, जिसमें 2399 ओ बी सी जातियां और 837 अति पिछडी जातियों की अनुसूची तैयार हुई। जिसकी रिपोर्ट 30 मार्च 1955 में आई जिसे तत्कालीन सरकार ने लागू नहीं किया। 20 सितम्बर 1978 को बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल के नेतृत्व में मण्डल कमीशन बनाया गया। जिसकी रिपोर्ट सितम्बर 1980 में आया। 16 नवम्बर 1992 को सर्वोच्च न्यायालय के नौ जजों की बेंच ने ओ बी सी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला सुनाया क्योंकि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है, जबकि संविधान में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
भिलाई इस्पात संयंत्र एस.सी./एस.टी. एम्पलाईज एसोसिएशन, भिलाई
‘MEET ASSOCIATION MEMBERS’
President
Shri Komal Prasad
General Secretary
Shri Vijay Kumar Patre
Treasurer
Shri Anil Kumar Khelwar
Vice President
Shri Kumar Bhardwaj
Vice President
Shri Ved Prakash
Org. Secretary
Shri Parmeshwar Lal
Zonal Secretary
Shri Sant Gyaneshwar
Vice Treasurer
Shri Naresh Chandra